(आरटी डेस्क)।
लखनऊ। माइकोराइजा (Mycorrhiza) एक सूक्ष्मदर्शी जीव (microscopic organism) है जो उच्च वर्ग के पौधों, कवक व फंगस की जड़ों के बीच एक सहजीवी (symbiotic) के रूप में रहता है। इस प्रकार के संबंध को सहजीविता ( Symbiosis) कहते हैं। यह सिम्बायोसिस लगभग 95% पौधों में पाया जाता है। यह सूक्ष्म जीव मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों जैसे फास्फोरस, नाइट्रोजन और सूक्ष्म जीवों को पौधों के लिए उपलब्ध पोषक तत्वों में परिवर्तित करता है। जिससे पौधों की जड़ें पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेती हैं। माइकोराइजा फास्फोरस के स्राव में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह मिट्टी की उर्वरता में सुधार करके पौधों की जड़ों में भी सुधार करता है। इसका उपयोग पौधों में जैव उर्वरक (biofertilizer) के रूप में किया जाता है।
यह भी पढ़ें-ऋषिकेशः न्यायालय के आदेश पर दो के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
माइकोराइजा के फायदे (Benefits of Mycorrhiza)
- इसका उपयोग मिर्च, बैगन, पत्तागोभी, भिंडी, टमाटर, आलू, प्याज, मेवा, तरबूज, लहसुन, अजवाइन और अन्य सब्जियों की फसलों में उनकी पूर्व-तैयार नर्सरी में किया जा सकता है।
- इसके प्रयोग से जड़ों में वृद्धि होती है और जड़ें ढेर सारे पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सक्षम होती हैं, जिससे पौधों की उपज बढ़ती है।
- यह मिट्टी की उर्वरता (Soil fertility ) को रासायनिक उर्वरकों के हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सकता है।
- यह रासायनिक उर्वरकों के संरक्षण से मिट्टी में लाभकारी पदार्थों की वृद्धि में मदद करता है।
- माइकोराइजा मिट्टी में फास्फोरस की उपस्थिति को 60-80% तक बढ़ा देता है। पृथ्वी की भौतिक और रासायनिक अवस्था में सुधार करता है।
- इसे आसानी से दोहराया जा सकता है, केवल एक खरीद की आवश्यकता होती है।
- माइकोराइजा पौधों द्वारा जल अवशोषण की दर को बढ़ाकर सूखे के प्रति पौधों की सहनशीलता को बढ़ाता है। जो पौधों को हरा-भरा रखने में मदद करता है।
- माइकोराइजा पौधों को कई खतरनाक मिट्टी जनित बीमारियों से भी बचाता है।
- यह पौधों की मेटाबोलिक गतिविधियों (metabolic activities) में सुधार करता है।
- यह पौधे को पोस्ट-ट्रांसप्लांटिंग के बाद मुरझाने से बचता है जिससे कि पौधों के प्रत्यारोपण के बाद मृत्यु दर घट जाती है।
- इसके उपयोग से उर्वरक और कीटनाशकों की उपयोगिता काम होती है और प्रतिकूल मिट्टी को पुनर्स्थापित करता है।
- सूखे और लवणता के लिए पौधे की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करता है और मिट्टी के कटाव को रोकता है।
यह भी पढ़ें-जानें मिर्च की खेती करने का उन्नत तरीका एवं कीट प्रबंधन
माइकोराइजा के उपयोग (Uses of Mycorrhiza)
- रोपण से पहले जड़ों को माइकोराइजा के 5 मिली प्रति लीटर पानी की दर वाले सोल्यूशंस में मिलाकर जड़ों को अच्छी तरह से विकसित करें।
- या माइकोराइजा के 250 ग्राम चूर्ण को 100 से 200 लीटर पानी में मिलाकर पौधों को खेत में बोने से दो से तीन घंटे पहले भिगो दें।
- यह माइकोराइजा बी-वैम या आईपीएल प्रीमियम लेफ्ट पावर प्रोडक्ट के रूप में जाना जाता है। यह पानी में आसानी से घुल जाता है। इसमें माइकोराइजा की संख्या 1200 आईपी प्रति ग्राम (यानी 3 लाख आईपी प्रति 250 ग्राम) होती है।
- इसकी 250 ग्राम मात्रा 1 से 2 हेक्टेयर खेत में ड्रिप या ड्रेंचिंग या सामान्य सिंचाई के रूप में दी जा सकती है।
- इसे एक ही फसल चक्र में दो बार बोया जा सकता है और फूल आने की अवस्था में दिया जा सकता है।
सावधानियां (Precautions)
- भंडारण करते समय, सीधे धूप से दूर ठंडी व सूखी जगह पर स्टोर करें।
- उत्पाद के उपयोग से 15 दिन पहले और 15 दिन बाद रासायनिक कवकनाशी और खरपतवारनाशी का प्रयोग न करें।
- इसका इस्तेमाल दो साल के भीतर कर लेना चाहिए या दोहरा लेना चाहिए, ताकि सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता बनी रहे।