ऋषिकेश ब्यूरो। अल्पसंख्यक समुदाय के परिवार को प्रताड़ित करने, उसकी संपत्ति पर तोड़फोड़, अवैध कब्जे के आरोप में कांग्रेस नेता जयेंद्र रमोला सहित पांच लोगों पर कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने ये कदम अल्पसंख्यक आयोग के हस्तक्षेप पर उठाया है। फिलहाल मामले की विवेचना शुरू हो गई है।
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तीर्थनगरी में करीब साल भर पूर्व एक अराजकता पूर्ण घटना काफी चर्चा में रही थी। मायाकुंड निवासी सरदार जगजीत सिंह की तहरीर के मुताबिक 7 सितंबर 2020 को रजिस्टर्ड डाक के जरिये कोतवाली पुलिस को अवगत कराया कि कांग्रेसी नेता जयेंद्र रमोला अपने करीब दर्जन भर साथियों के साथ उनके घर पर आ धमके। आरोप लगाया कि अवैध कब्जे का जबरन प्रयास हुआ। इस घटना को जब जगजीत सिंह ने रोकने का प्रयास किया तो बल पूर्वक तोड़फोड़ तक कि गई। इस घटना से आहत पीड़ित परिवार ने स्थानीय पुलिस को फोन से सूचना दी। मौके पर पुलिस पहुँची लेकिन दुखद पहलू ये रहा कि खाकीधारी कांग्रेसी नेता की अराजकता को ही शह देते दिखे। अलबत्ता पुलिस के सामने ही सीसीटीवी कैमरे तक तोड़े गए और लोहे का गेट तोड़कर गिरा दिया गया। पीड़ित जगजीत के मुताबिक पूरे घटनाक्रम का वीडियो फुटेज मौजूद है।
तत्कालीन कोतवाल पीड़ित को ही धमकाता रहा
डीजीपी अशोक कुमार के लाख प्रयासों के बावजूद कुछ पुलिस अफसर खुद को कानून व्यवस्था से ऊपर उठने की होड़ में लगे रहते हैं। इनमें ऋषिकेश के पूर्व कोतवाल रितेश शाह का नंबर अव्वल है। ताज़ा मामले की जड़ में भी पूर्व कोतवाल की बेअंदाजी और आम लोगों के प्रति हेय नजरिया ही है। जगजीत सिंह की माने तो कांग्रेसी नेता और पूर्व कोतवाल रितेश शाह की नापाक जुगलबंदी ने पूरे शहर में अराजकता का माहौल बना दिया था। इसी गैरकानूनी गठजोड़ का शिकार जगजीत सिंह भी हुए। गैंग बनाकर उनके घर पर तोड़फोड़ हुई। इसकी शिकायत जब पूर्व कोतवाल से की गई तो पुलिस कर्मियों को पीड़ित की मदद के बकाया उपद्रवियों को शह देने के लिए भेज दिया।
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जगजीत की मानें तो पूर्व कोतवाल ने न जाने किस खुन्नस में उन्हें धमकी भी दी कि कोतवाली परिसर के आसपास भी दिखे तो ठीक नहीं होगा। इसी का नतीजा रहा कि पीड़ित ने तोड़फोड़ वाले मामले की तहरीर रजिस्टर्ड डाक से भेजने के बाद पुलिस के शीर्ष अफसरों को पूर्व कोतवाल के हरकतों की शिकायत की। फिलहाल जैसा कि उम्मीद थी स्थानीय पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की। इसी क्रम में पीड़ित ने 156 (3) के तहत मामले का संज्ञान लेने के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया। दो बार अदालत ने भी अपील खारिज की। इस बीच पीड़ित ने अल्पसंख्यक आयोग, मानवाधिकार आयोग और पुलिस प्राधिकरण में गुहार लगाई। आखिरकार अल्पसंख्यक आयोग ने प्रमाणों और तथ्यों के आधार पर पुलिस को आरोपियों के खिलाफ निश्चित अवधि के भीतर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
आखिरकार कानून के आगे रसूख ने घुटने टेके
ये आम आदमी की विडंबना है कि अपने हितों की रक्षा के लिए महीनों और सालों तक एड़ियां घिसनी पड़ती हैं तब जाकर उसे न्याय मिल पाता है। वहीं रसूखदार नेतागिरी की आड़ में कानून को बंधक बनाकर आम लोगों का मसीहा बनने की कोशिश करते हैं। इससे इतर जगजीत सिंह का अथक प्रयास इस मिथक को तोड़ता दिखाई देता है।
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अपने संवैधानिक हितों की रक्षा के लिए बिना थके कोई प्रयास करे तो साबित भो होता है कि कानून सबके लिए बराबर है। यही जिजीविषा जगजीत सिंह ने भी दिखाई। अत्याचार के खिलाफ वे हिम्मत नहीं हारे बल्कि नेता और पुलिस गठजोड़ के खिलाफ हर मोर्चे पर ताल ठोंकी। इसी का नतीजा है कि जिस कोतवाली परिसर में तथाकथित नेता अपने कुचक्र संचालित करता था वहीं मुकदमा दर्ज हुआ। इस मामले में जयेंद्र रमोला, नीतू भटनागर, सतीश कोठियाल, चतर सिंह बर्तवाल, सौरभ नैथानी और मोहम्मद नोमान के खिलाफ 147, 504, 506, 427 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
मानवाधिकार आयोग ने भी डीजीपी को लिखा पत्र
खाकी पहनकर आम आदमी की सुरक्षा की शपथ खाने वाले कुछ पुलिस अफसर पूरे महकमे के इकबाल पर सवालिया निशान लगवा रहे हैं। पीड़ित जगजीत सिंह के मामले में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे हैं। वर्दी के रसूख में फरियादी को ही धमकी देने का मामला अब तूल पकड़ रहा है। पीड़ित जगजीत सिंह के मुताबिक उनकी संपत्ति पर कांग्रेसी नेता की अगुवाई में जबरन तोड़फोड़ और अवैध कब्जे के प्रयास में तत्कालीन कोतवाल की भूमिका भी सवालिया घेरे में है।
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जगजीत का आरोप है कि मदद मांगने पर कोतवाल ने सुरक्षा प्रदान करने की बजाय उपद्रवियों की ओर से धमकाया था। इसके अलावा घटनाक्रम के दौरान पुलिस कर्मी मूकदर्शक भो बने रहे। इस मामले की सुनवाई मानवाधिकार आयोग और पुलिस प्राधिकरण में जारी है। हाल ही में आरोपी पुलिस कर्मियों की भूमिका की जांच के लिए मानवाधिकार आयोग ने डीजीपी को पत्र भी लिखा है। उधर, पुलिस प्राधिकरण लगातार सुनवाई में उपस्थित होने के लिए ऋषिकेश के पूर्व कोतवाल रितेश शाह को नोटिस जारी कर रहा है। फिलहाल प्राधिकरण में आरोपी कोतवाल उपस्थित नहीं हुआ। दूसरे आरोपी एसआई विनय शर्मा ने प्राधिकरण में अपना बयान दर्ज करवा दिया है।
जिसकी रिपोर्ट पर उठ रही उंगली वही बने विवेचनाधिकारी
न्याय पाने के लिए कदम दर कदम लड़ना पड़ता है। हालिया मामला कांग्रेसी नेता सहित 5 लोगों पर दर्ज हुए मुकदमा और उसके जांच अधिकारी से जुड़ा है। दरअसल ये पहलू इस लिए दिलचस्प है कि ताज़ा मामले के विवेचना अधिकारी एसआई उत्तम रमोला पूर्व में भी इसी मामले में अपनी रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल कर चुके हैं। पीड़ित पक्ष जगजीत का आरोप है कि पूर्व में जब 156 (3) के तहत मामला दाखिल किया गया था तो एसआई उत्तम रमोला ने ही पुलिस की ओर से रिपोर्ट दाखिल की थी। जगजीत के मुताबिक उन्होंने मेरा पक्ष, तथ्यों और प्रमाणों की जानकारी लिए ही एकतरफा रिपोर्ट सौंप दी थी। फिर भी जगजीत न्यायिक प्रक्रिया से ऊबे नहीं हैं। उनका कहना है कि कानून सबके लिए बराबर है। उम्मीद है विवेचना अधिकारी इस बार सत्यता और प्रमाणों के आधार पर रिपोर्ट तैयार करेंगे।
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