लखनऊ, (बागवानी डेस्क)। हर किसी को भाते हैं सुन्दर और मनमोहक फूल। रंग-बिरंगे फूलों लड़ी क्यारियां हर किसी दिलों को हर्ष और उमंग से भर देतीं हैं। यह जानना बेहद रोचक है कि ये फूल इतनी खुशबू कहां से समेट कर ले आते हैं, जिन्हें देखकर हमारा हद्य मंत्रमुग्ध हो जाता है। देखा जाये तो फूलों की अपनी ही एक अलग दुनिया होती है। जहां अलग अलग प्रकार के अलग अलग रंगों के अलग अलग खुशबु के फूल होते हैं, जिनको गिन पाना असंभव है।
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आज हम आपको बतायेंगे रजनीगंधा फूल के बारे में। इस लेख में पढ़ें रजनीगंधा की खेती से जुड़ी पूरी जानकारी। रजनीगंधा फूल की खेती कर हम अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते है। लेकिन इसकी खेती करने से पहले कुछ विशेष बातों और सावधानियों का ध्यान रखना आवश्यक है। रजनीगंधा की खेती के लिये किस तरह की जमीन होगी, वहां मिट्टी कैसी हो, वहां मौसम कैसा हो, ऐसी महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रख कर इसकी खेती करनी चाहिए। कुछ विशेष सावधानियां बरतते हुए रजनीगंधा की खेती की जाए तो अच्छा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है। आगे विस्तार से पढ़िए रजनीगंधा के बारे में विस्तृत जानकारी-
रजनीगंधा की कुछ विशेष किस्में
रजनीगंधा की मुख्यत: चार प्रकार की किस्म होती है।जिनमें शामिल हैं –
- एकहरा: इसके फूल सफेद रंग के होते हैं और पंखुड़ियों में केवल एक ही पंक्ति होती है।
- डबल: इसके फूल भी सफेद रंग के ही होते हैं, लेकिन पंखुड़ियों का उपरी शिरा हल्का गुलाबी होता है।
- अर्थ: इस किस्म की फूलों में एक से अधिक पंखड़ियां होती है।
- धारीदार: इस किस्म के फूल डबर या सिंगल होते हैं, लेकिन पत्तियों का किनारा सफेद होता है।
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खेती के लिये उपयुक्त जमीन का चयन
किसी फसल की खेती करने के लिए आप किस तरह की मिट्टी का चयन करते हैं, यह बहुत मायने रखता है। वहीं, रजनीगंधा की खेती के लिए ऐसी मिट्टी का चुनाव करना चाहिए, जहां जल निकासी की उचित व्यवस्था हो, सूर्य का संपूर्ण प्रकाश हो, वह मिट्टी बिल्कुल उपयुक्त रहती है। मिट्टी की गुणवत्ता के आधार पर कहें तो दोमट मिट्टी रजनीगंधा की खेती के लिए बेहद उपयुक्त रहती है।
अच्छी खेती के लिये ऐसे करें मिट्टी को तैयार
- मिट्टी का चयन करने के बाद आपको इसे तैयार करना होता है। कोई भी फसल आपको कितना उत्पादन देगी यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह से मिट्टी को तैयार किया है।
- वहीं, रजनीगंधा की खेती करने के लिए आपको मिट्टी को तैयार करने हेतु सबसे पहले मिट्टी पर 2 से 3 बार हल चलाना होगा।
- मिट्टी को पलटना होगा। यह काम आपको तब तक करना है, जब तक मिट्टी भुरभुरी नहीं हो जाए।
- एक बार जब आपकी मिट्टी भुरभरी हो जाती है, तो समझ लीजिए कि आपके खेत की मिट्टी रजनीगंधा की खेती के लिए तैयार हो चुकी है।
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रजनीगंधा की कंद की रोपाई कैसे करें
- इसका बाद अगला पड़ाव कंद की रोपाई का आता है।
- कंद की रोपाई के लिए सबसे उपयुक्त महीना मार्च और अप्रैल का होता है।
- 2 मीटर व्यास वाले कंद रोपाई के लिए उपयुक्त माने जाते हैं।
- एक या दो कंद रोपाई के लिए उपुयक्त माने जाते हैं। कंद की रोपाई 20 से 25 मीटर की दूरी व 5 सेमी की गहराई पर कंद की रोपाई करना बिल्कुल उपयुक्त रहता है।
किस प्रकार के उर्वरक एवं खाद करें छिड़काव
- एक वर्ग मीटर की क्यारी में 3 किलोग्राम सड़ा हुआ कंपोस्ट, 20 से 30 ग्राम नाइट्रोजन, 15 से 20 ग्राम फास्फोरस व 10 से 20 ग्राम पोटाश का इस्तेमाल बिल्कुल उपयुक्त रहता है।
- नाइट्रोजन तीन बार बराबर मात्रा में देनी चाहिए।
- एक तो रोपने से पहले, दूसरा 60 दिन के बाद (3–4 पत्ती होने पर) तथा तीसरी मात्रा फूल निकलने पर देनी चाहिए।
- कम्पोस्ट, फास्फोरस एवं पोटाश की पूरी मात्रा को केन्द्र रोपने के पहले ही व्यवहार करना चाहिए।
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क्या हो सिंचाई तरीका
- किसी फसल को उगाने के लिए सिंचाई की अपनी एक अलग ही भूमिका होती है, लेकिन आपको किस फसल में कितनी मात्रा में सिंचाई करनी है, इस बात का विशेष ध्यान रखना होता है।
- वहीं, रजनीगंधा की सिंचाई के लिए आपको गर्मी में एक सप्ताह के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए।
- वर्षा के मौसम में आवश्यकतानुसार सिंचाई करनी चाहिए।
रजनीगंधा के फूलों को चुनना, तोड़ाई व कटाई का तरीका
- फूलों की तोड़ाई के लिए सुबह व शाम का समय बिल्कुल उपयुक्त रहता है।
- इसकी 50 से 100 स्पाइक की बंडल बनाकर इसकी बाजार में आपूर्ति की जा सकती है।
- सामान्य तौर पर आप इसे 2 से 3 फूल खिलने पर आप इसे तोड़ सकते हैं।
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रजनीगंधा की ऊपज
वहीं, अगर रजनीगंधा के फूलों की उपज की बात करें, तो ताजा फूल प्रति हैक्टेयर लगभग 80–100 क्विंटल/वर्ष प्राप्त होता है, जबकि सुगंधित द्रव्य के रूप में ककरीट 27.5 कि.ग्रा. प्रति/हैक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है, जिससे 5.500 कि.ग्रा.ऐबसोल्युट (शुद्ध) सुगंधित द्रव्य प्राप्त होता है।
कैसे करें अपनी रजनीगंधा की फसल का कीटों से बचाव
- हर फसल में कीटों की समस्या रहती है।
- इसी तरह रजनीगंधा में भी कीटों की समस्या होती है, जिससे बचाव हेतु आप ब्रैसीकाल का छिड़काव (2 ग्राम प्रति लीटर में पानी में घोलकर) करें।
- कीड़ों में मुख्य रूप से थ्रिप्स (बहुत छोटा कीड़ा) तथा माइट का आक्रमण होता है जो कि पत्ती तथा फूल दोनों को बुरी तरह प्रभावित करते हैं।
- ध्रिप्स से फसल की रक्षा करनी है तो अनुशंसित मात्रा में कुछ दिनों के अन्तराल पर कीटनाशक छिड़काव करना चाहिए।
- लेकिन ब्रैसीकाव का उपयोग आपके फूल को कीटों से सुरक्षित रखने में बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।