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बता दें कि अपनी वैक्सीनेशन नीति का का बचाव किया है। दरअसल इससे पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र से सवाल किया था कि केंद्र वैक्सीन की 100 फीसद खरीद खुद क्यों नहीं कर रहा जिस पर केंद्र ने कहा कि उसने 50 फीसद वैक्सीन की खरीद खुद करने की नीति बनाई है।
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को आदेश- हर दिन ऑक्सीजन की सप्लाई क्रमश: 700 व 1200 मीट्रिक टन निश्चित जाये
इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को केंद्र को आदेश दिया था कि दिल्ली व कर्नाटक के लिए हर दिन ऑक्सीजन की सप्लाई क्रमश: 700 मीट्रिक टन व 1200 मीट्रिक टन निश्चित किया जाए। कोर्ट ने केंद्र को ऑक्सीजन की कमी की समस्या से निपटने के लिए नेशनल टास्क फोर्स के गठन की सलाह दी। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार मौजूदा समस्या का तत्काल समाधान करे। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा था कि दिल्ली सरकार का कहना है कि उसने केंद्र द्वारा अपनाए गए फॉर्मूला के आधार पर ऑक्सीजन की जरूरत का आकलन किया है।
गत 27 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था और चार मुद्दों पर केंद्र से जवाब देने को कहा था। ये चार मुद्दे हैं- ऑक्सीजन की आपूर्ति, राज्यों की अनुमानित आवश्यकता, केंद्रीय पूल से ऑक्सीजन के आवंटन का आधार, एक गतिशील आधार पर राज्यों की आवश्यकता के लिए संचार की अपनाई गई कार्यप्रणाली। राज्यों की आवश्यकता वाले मुद्दे के तहत कोविड बेड समेत महत्वपूर्ण चिकित्सा आवश्यकताओं में वृद्धि तहत को भी रखा गया। वहीं, आवंटन वाले तीसरे मुद्दे के तहत रेमडेसिविर, फेविपिविर सहित आवश्यक दवाओं की उचित उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए अपनाई गई केंद्र की नीति व चौथे मुद्दे में वैक्सीनेशन को लेकर जवाब मांगे गए थे।
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