दिबियापुर/औरैया, (विकास अवस्थी)। दिबियापुर की औरैया रोड पर कल रात्रि एक विशाल धनुष यज्ञ का कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमे सीता स्वयंवर एवं लक्ष्मण-परशुराम संवाद प्रसंग का मंचन किया गया। स्वयंवर के लिए आए राजाओं का शिव धनुष तोड़ने का बार-बार असफल प्रयास और परशुराम-लक्ष्मण संवाद ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
राजा जनक कहते हैं कि लज्जा करो-लज्जा करो, ये पृथ्वी वीरों से खाली हो गई है। इसके बाद गुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम धनुष को तोड़ देते हैं और सीता उनके गले में वरमाला डालती हैं। धनुष खंडित होने की गूंज से क्रोधित परशुराम सभा में पहुंचते हैं और धनुष तोड़ने वाले का नाम पूछते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम का संवाद होता है।
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परशुराम श्रीराम के विष्णु का अवतार होने की बात को नहीं समझ पाते हैं और जब उन्हें जानकारी मिलती है तो वे भगवान विष्णु का प्रसिद्ध धनुष श्रीराम को सौंपते हैं और जनकपुर से प्रस्थान कर जाते हैं।
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लक्ष्मण परशुराम के बीच संवाद में परशुराम जी की भूमिका राजू मिश्रा कानपुर एवं लक्ष्मण की भूमिका में उमाकांत अवस्थी दिबियापुर ने आज सुबह सत्संग संवाद प्रस्तुत किया जिन्हें देखने और सुनने के लिए सैकड़ों की संख्या में लीला प्रेमी उपस्थित रहे।
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