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लखनऊ। वाणिज्य कर विभाग में चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के तबादलों और पदोन्नति में अनियमिताओं के आरोप लगाते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी वाणिज्य कर संघ के प्रदेश महामंत्री ने वाणिज्य कर विभाग में आगरा से गाजियाबाद स्थानान्तरण पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रार्थी के प्रार्थना पत्र स्वीकृत नहीं किया।
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महामंत्री सुरेश सिंह यादव ने कहा कि प्रदेश में ऐसे तमाम मामले है जिसमें चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों ने स्थानान्तरण नीति के आधार पर प्रार्थना पत्र दिए लेकिन विचार नही किया गया। उन्होने यह भी आरोप लगाया कि नियमानुसार सचल दल इकाइयों में 1 वर्ष की तैनाती होती है लेकिन 4 वर्षों से कर्मचारी जमे है। जिससे पूरे प्रदेश के कर्मचारी एवं अधिकारियों में अंदरूनी आक्रोश है।
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श्री यादव ने आरोप लगाया कि कैण्डर स्ट्रेक्चर को लेकर आईआईएम की रिपोर्ट सालों से रद्दी की टेाकरी में धूल खा रही है लेकिन इस का अनुपालन अब तक नही किया गया और इससे भी विभाग में आक्रोश व्याप्त है। प्रदेश महामंत्री और अखिल भारतीय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ के जनरल सेकेटरी सुरेश सिंह यादव कहा कि ऐसे ही अन्य विभागों में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का उत्पीड़न किया जा रहा है। कर्मचारियों की काफी संख्या में कमी होने के कारण एक-एक कर्मचारी से कई अधिकारियों एवं कई अनुभवों का कार्य लिया जा रहा है। यही नही इन कर्मियों को दिन में राजकीय कार्य के साथ रात की चौकीदारी भी करनी पड़ती है।
कर्मचारियों की कमी को देखते हुए संविदा पर रखने के निर्देश शासन द्वारा जारी किए गए हैं लेकिन उस पर भी कोई विचार गंभीरता से नहीं किया जा रहा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का बराबर जिलों में उत्पीड़न किया जा रहा है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का दूर जनपद में भी स्थानातरण किए गए। लगभग प्रत्येक विभागों में चतुर्थ श्रेणी के 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त है इन्हें तत्काल भरा जाए।वाणिज्य कर विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों से 20 वर्षों से वाहन चालक का कार्य लिया जा रहा है और शासन द्वारा 20 प्रतिशत कोटे के आधार पर अब तक उनका चालक के पदों पर पदोन्नति नही की जा रही है।
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प्रदेश महामंत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि विभागीय कमिश्नर द्वारा चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों की समस्याओं का त्वरित निदान करने के निर्देश के बावजूद अधिनस्थ अधिकारी मनमानी कर रहे है। उन्होंने कहा कि अतिशीघ्र चतुर्थ श्रेणी कार्मिकों के साथ की गई अनियिमिता, असाध्य बीमारी से ग्रस्त कार्मिकों के तबादलों पर रोक और अन्य मांगों पर कार्रवाई नही की जाती तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी महासंघ आन्दोलन के लिए बाध्य होगा।
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